…तो हरीश रावत छोड़ सकते हैं कांग्रेस!

…तो हरीश रावत छोड़ सकते हैं कांग्रेस!

दून विनर संवाददाता/देहरादून

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस में अंदरूनी रार बढ़कर बाहर आती दिखाई दे रही है। उत्तराखंड चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एक ट्वीट ने पार्टी में खलबली मचा दी है।

प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव अभियान को धार देने में जुटे हरीश रावत के ट्वीट से यह दर्द भी छलक रहा है कि संगठन का ढांचा सहयोग के बजाय नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। रावत के गंभीर ट्वीट के बाद उनके मीडिया सलाहकार और प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए सीधे प्रभारी पर भाजपा के एजेंडे पर काम करने का आरोप लगा दिया।

कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत ने संगठन के ढांचे की ओर कई स्थानों पर मिल रहे असहयोग को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है कि,-‘है न अजीब सी बात,चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है,सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है,सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है! फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है “न दैन्यं न पलायनम्”। बड़ी उहापोह की स्थिति में हूंँ, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे’।

हरीश रावत के ट्वीट के बाद कांग्रेस में खलबली है। उल्लेखनीय है कि हरीश रावत चुनाव अधिसूचना जारी होने से पहले ही गांव-गांव, शहर-शहर यात्रा और सभाएं कर रहे हैं।लगातार रात-दिन कांग्रेस के पक्ष में फिजां बनाने में जुटे हरीश रावत पार्टी के जिम्मेदार नेता की पहचान रखते हैं। उनके धुआंधार अभियान का ही परिणाम है कि विगत दिनों में विभिन्न संस्थानों द्वारा चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में कांग्रेस को अच्छी बढ़त मिलती दिखाई दे रही थी। अब जब गुब्बारा फूट ही पड़ा है तो भाजपा की चिन्ता भी कम होगी।

दूसरी ओर हरीश रावत के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में रावत जी का कोई विकल्प नहीं है।पिछले कुछ समय से लग रहा है कि कोई ताकत है जो हरीश रावत आगे बढ़ते कदमों को रोकना चाहती है और भाजपा के एजेंडे पर काम कर रही है। कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावनाओं पर बैरियर लगाना चाहती है।उन्होंने मीडिया से वार्ता करते हुए यह भी कहा कि प्रभारी पंचायत के प्रमुख होते हैं।उनसे यह उम्मीद की जाती है कि वह सभी को साथ लाने हुए पार्टी एजेंडे के साथ आगे बढ़ें।

कुल मिलाकर चुनाव से पहले ही कांग्रेस की रार ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। यह स्थिति कांग्रेस की सेहत और संभावनाओं के लिए ठीक नहीं होगी।

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