उत्तराखंडः यहां बड़े दलों की है ये बड़ी मजबूरी। पढ़ें दून विनर की ये खास खबर

उत्तराखंडः यहां बड़े दलों की है ये बड़ी मजबूरी। पढ़ें दून विनर की ये खास खबर

इस बार उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगे सत्ता के प्रबल दावेदार दलों का चुनाव के मोर्चे पर नेतृत्व के सवाल पर सामूहिक नेतृत्व का आदर्शवादी और रटा-रटाया जवाब है, जबकि प्रदेश में पहली बार जोर-शोर से चुनावों में उतर रही आम आदमी पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री के प्रत्याशी की भी घोषणा कर डाली है

दून विनर /देहरादून

उत्तराखंड  में विधानसभा चुनावों की घोषणा से लगभग कुछ दिन पहले भाजपा ने 4 दिसम्बर को देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा का आयोजन कर मेगा शो की शुरुआत की थी। इसके बाद कुमाऊं में प्रधानमंत्री का एक ऐसा ही मेगा शो चुनाव प्रचार को लेकर प्रस्तावित है। चुनावों की घोषणा होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की राज्य की पांचों लोकसभा सीटों में कुल पांच जनसभाएं कराने की भी योजना बनाई गई है। प्रधानमंत्री के अलावा भाजपा के दूसरे क्रम के ताकतवर नेता गृहमंत्री अमित शाह भी चुनाव प्रचार के लिए उत्तराखंड आएंगे। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी चुनावी सभा कराने की योजना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मंत्रीगण, पार्टी के राज्य प्रभारी, प्रदेश संगठन के पदाधिकारी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकने वाले हैं। एक विचित्र सच्चाई ये है कि भाजपा के स्टार प्रचारकों के इस दल-बल में किसी को पार्टी के चुनावी संग्राम के नेतृत्वकर्ता का पता नहीं है।
मोदी के दुनिया के नेताओं में शीर्ष पर होने और भाजपा के दुनिया में सबसे बड़ा राजनैतिक संगठन होने के दावे कर रही भाजपा राजनैतिक हैसियत में उप्र से कई छोटे प्रदेश में चुनावों की टीम के कप्तान का चयन नहीं कर पाई है। हालांकि मोदी के नाम पर चुनावी बेतरणी पार कर जाने के विश्वास से लबरेज भाजपा को अपनी इस कमजोरी से ज्यादा सरोकार नहीं दिखाई देता पर उत्तराखंड के लिहाज से यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
स्थानीय नेतृत्व का पिछलग्गूपन पूरे प्रदेश के लिए गंभीर चिंता की बात है। केन्द्र की चौधराहट के सामने प्रदेश हित के मुद्दों पर तन कर खड़े होने की ऐसे नेतृत्व से आशा करना बेकार है। पूर्व में सीएम रहे बी.सी. खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे दिग्गज नेताओं की प्रदेश की सक्रिय राजनीति से विदाई के बाद वर्तमान में भाजपा प्रदेश स्तर पर ऊंचे राजनीतिक कद के स्टार प्रचारकों की कमी से जूझ रही है, खासकर कांटे के मुकाबले के आसार देखते हुए कि सामने से प्रबल प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हरीश रावत लगातार हमलावर हैं।
ये भी सत्य है कि कांग्रेस को भी ये साहस नहीं हुआ है कि चुनावी संग्राम में अपने कप्तान की घोषणा करे पर वहां हरीश रावत की वरिष्ठता और कौशल से कोई इंकार नहीं कर सकता है, किन्तु भाजपा में इस मामले में अनिर्णय की स्थिति है। उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने इस बार के कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री दिए। वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दूसरी बार की विधायकी में मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। वे पार्टी में अनुभव व उम्र दोनों के लिहाज से युवा हैं।
मुख्यमंत्री कोई भी हो वह स्वत: ही स्टार प्रचारक होते हैं। उनकी बातों को जनता सुनती  और गौर करती है, जिसमें मीडिया की भी विशेष भूमिका रहती है। जमीनी हालत ऐसे हैं कि प्रदेश भाजपा में वरिष्ठतम नेता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, बिशन सिंह चुुफाल, बंशीधर भगत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ ही हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, मुन्ना सिंह चौहान जैसे वरिष्ठ नेताओं के रहते भाजपा की दुविधा ये है कि वह वरिष्ठता में काफी पीछे खड़े मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चुनाव लडऩे का एलान नहीं कर पाई है। यह प्रदेश भाजपा की दिल्ली पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता को भी व्यक्त करता है।
याद रहे कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले की भाजपा की ओर से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लडऩे का एलान हो गया था। पार्टी में तमाम वरिष्ठ नेताओं के रहते उन्हें प्रधानमंत्री का उम्मीदवार भी घोषित किया गया। पड़ोसी उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव में भाजपा फिर से सत्ता पर काबिज होने के दावों के साथ योगी को ही आगे कर चुनावी मैदान में कूदने का सारा ताना-बाना बुन रही है पर उत्तराखंड में इस बार 60 सीट से ज्यादा जीतने की योजना पर काम कर रही भाजपा नेतृत्व के सवाल पर कई नेताओं की पांत मौजूद होने की बात करती है।
यही हाल पिछले चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद इस बार सत्ता में लौटने के सपने देख रही कांग्रेस के नेतृत्व का है। कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के जोर देने के बावजूद पार्टी ने चुनावी मैदान में एक कप्तान के नेतृत्व से इंकार किया है। कांग्रेस साफ  कर चुकी है कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी सामूहिक नेतृत्व में अपनी दावेदारी रखेगी।
फ्री बिजली, 5 हजार बेरोजगारी भत्ता और 6 माह में एक लाख सरकारी रोजगार का वादा कर प्रदेश में चुनावी चर्चाओं को गरमाने में कामयाब हुई आम आदमी पार्टी ने अलबत्ता कर्नल (से.नि.) अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया है। उत्तराखंड के एकमात्र क्षेत्रीय दल यूकेडी के सामने पहला सवाल अस्तित्व बचाने का है, इसलिए वहां दल के अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी के चुनावी संग्राम के नायक रहने की संभावना है।
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