उत्तराखंड विधानसभा में बजट पर चर्चा बहुत कम!

उत्तराखंड विधानसभा में बजट पर चर्चा बहुत कम!

दून विनर संवाददाता/देहरादून।
देवभूमि और पर्वतीय राज्य दोनों विशेषणों से नवाजे जाने वाले पड़ोसी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में प्रदेश के विकास को लेकर मौजूदा राजनैतिक संस्कृति में खासा अंतर दिखाई दे रहा है। विशेषकर इसमें उत्तराखंड में विधानसभा सत्रों की अवधि कम होना और बजट को पास करने जैसे महत्वपूर्ण विधायी प्रक्रिया में पक्ष-विपक्ष में किसी गंभीर बहस-मुबाहसे की सिकुड़ती गुंजाइश लोकतंत्र के लिए शुभ लक्षण नहीं है। मसलन भराड़ीसैंण में पिछले दिनों हुए बजट सत्र को ही देखने पर इसकी एक मिसाल मिलती है।
उत्तराखंड में धामी सरकार ने भराडी़सैंण विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट 15 मार्च को पेश किया। वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कुल 77,407.08 करोड़ का बजट प्रस्ताव रखा। अगले दिन यानी 16 मार्च को शाम छह बजे बाद सत्तापक्ष और विपक्ष ने बजट पर चर्चा शुरू की।

 सत्तापक्ष के विधायकों ने बजट को ऐतिहासिक और राज्य के विकास का बजट बताया। विपक्ष ने बजट को सिरे से खारिज कर दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने करीब एक घंटे तक बजट के साथ अन्य मसलों पर सरकार की बात रखी। फिर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के दुबारा बजट पर बोलने पर सत्तापक्ष ने विरोध किया। विपक्ष को बोलने से रोकने के आरोप लगाते कांग्रेस विधायक वेल में आ गए। दोनों ओर से कुछ समय तक नोक -झोंक हुई और अंततः कांग्रेस विधायक वाक आउट कर सदन से चले गए।

 विपक्ष की अनुपस्थिति में बिना किसी चर्चा के विभागवार बजट प्रस्ताव रखे गए और उन्हें ध्वनिमत से पारित किया गया वहीं रात 10 बजे ध्वनिमत से 2023-24 के बजट को मंजूरी दी गई। इसी दिन बजट सत्र को स्थगित किया गया। कुल मिलाकर महज चार दिन में ही महत्वपूर्ण माने जाने वाला बजट सत्र सिमट गया।
इससे पहले 14 मार्च को विशेषाधिकार के ऊपर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के फैसले पर कांग्रेसी विधायकों के काफी हंगामा काटने, माइक तोडने आदि पर स्पीकर ने कांग्रेस के 15 विधायकों को एक दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया था। 15 मार्च को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य,पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल, भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चैहान के विधानसभा अध्यक्ष से विधायकों के निलंबन के आदेश पर पुनर्विचार के अनुरोध को स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने दृढतापूर्वक ठुकरा दिया। यानी निलंबित विधायक 15 मार्च को जब बजट पेश किया गया, उस दिन सदन में नहीं आ पाए।
अब उत्तराखंड के पड़ोसी पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश की बात जहां इस वक्त भाजपा की धुर विरोधी कांग्रेस सत्ता में है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह ने 17 मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 का 53,413 करोड़ का बजट प्रस्तुत किया। चर्चा के बाद इसमें 3064.69 करोड़ की वृद्धि करते हुए सदन ने कुल 56,683.69 करोड़ रुपए का बजट पास किया। 27 से 29 मार्च के दौरान बजट पर पक्ष-विपक्ष के 52 विधायकों ने चर्चा में भाग लिया। चर्चा में सत्तापक्ष से 25 विधायकों व विपक्ष से भी 25 भाजपा विधायकों ने शिरकत की और दो निर्दलीय विधायक भी चर्चा में शामिल हुए। कुल 17 घंटे 50 मिनट की चर्चा बजट पर चली। उसके बाद सदन में बजट पास हुआ।
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