विधायक दिलीप रावत ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ खोला मोर्चा

विधायक दिलीप रावत ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ खोला मोर्चा

दून विनर/देहरादून।  लैंसडौन विधानसभा के विधायक दिलीप रावत ने कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मंत्री पर राजनैतिक द्वेष भावना से उनकी विधानसभा क्षेत्र की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से तीन दिन के भीतर कालागढ़ फारेस्ट टाइगर रिजर्व प्रभाग कार्यालय में प्रभागीय वनाधिकारी तैनात करने और नैनीडांडा विद्युत वितरण खंड में अधिशासी अभियंता की नियुक्ति करने की मांग की है। ऐसा न होने की स्थिति में उन्होंने विधानसभा के बाहर आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है।

 

मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में दिलीप रावत ने कहा कि 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने नैनीडांडा डिग्री कालेज में आयोजित कार्यक्रम में विद्युत वितरण खंड कार्यालय का लोकार्पण किया। पर, बीस दिन बाद भी आज तक कार्यालय में अधिशासी अभियंता की तैनाती नहीं की गई है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि ऊर्जा मंत्री के दबाव के कारण यह नियुक्ति नहीं हो पा रही। पत्र में वन मंत्री पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने कालागढ़ वन प्रभाग के कार्यालय को कोटद्वार शिफ्ट करने का प्रयास किया, जिसका उन्होंने जनसहयोग से विरोध किया। पर अब वन मंत्री ने कोटद्वार में कालागढ़ वन प्रभाग का कैंप कार्यालय खुलवा दिया और लैंसडौन स्थित कार्यालय को निष्क्रिय कर दिया।

पत्र में कहा गया कि लैंसडौन स्थित सेवायोजन कार्यालय को भी शिफ्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनके प्रतिरोध के बाद इस कार्यालय का संचालन जयहरीखाल में शिशु मंदिर के बंद पड़े भवन में हो रहा है। पत्र में विधायक दलीप रावत ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से वार्ता कर उन्होंने मैदावन-दुर्गा देवी वन मार्ग को खुलवाया। लेकिन, राजनैतिक दवाब के कारण इसे खोलने में विलंब किया गया व अब वन मंत्री इस मार्ग को स्वयं की उपलब्धि बता श्रेय लेने की राजनीति कर रहे हैं।

पत्र में स्पष्ट कहा गया कि काबीना मंत्री राजनैतिक विद्वेश में लैंसडौन क्षेत्र की उपेक्षा कर रहे हैं, जिसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। चेतावनी देते हुए कहा कि अगर तीन दिन के भीतर लैंसडौन में कालागढ़ फारेस्ट टाइगर रिजर्व प्रभाग कार्यालय में प्रभागीय वनाधिकारी और नैनीडांडा विद्युत वितरण खंड में अधिशासी अभियंता की तैनाती न की गई तो वे विधानसभा के बाहर आमरण अनशन करेंगे।

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